लेखक:
डॉ. यशवन्त वीरोदय
डॉ. यशवन्त वीरोदय
हिन्दी साहित्य के युवा समालोचक एवं कवि डॉ यशवन्त वीरोदय का जन्म देवरिया जनपद के पथरदेवा क्षेत्र में भेलीपट्टी (बोधापट्टी) नामक गाँव में 22 दिसम्बर सन् 1979 को एक दलित परिवार में हुआ। उच्च शिक्षा की प्राप्ति हेतु ये इलाहाबाद चले गये और वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सन् 2003 ई. में हिन्दी साहित्य में एम.ए. और सन् 2010 ई. में लखनऊ विश्वविद्यालय से 'हिन्दी दलित साहित्य का समाजशास्त्र' विषय पर पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। दलित साहित्य को ‘सत्ता विमर्श का साधन घोषित करने वाले युवा साहित्यकार डॉ. यशवन्त वीरोदय आज के दौर में दलित साहित्य के महत्वपूर्ण आलोचक हैं। इनका लेखन आधुनिक युग के दलित साहित्य के अवरोधों का संधान करने में सक्षम है। जिन महत्वपूर्ण पुस्तकों के कारण इनको साहित्य के क्षेत्र में ख्याति मिली है उनमें पहली है- 'हिन्दी साहित्य की मुख्यधारा' । सन् 2010 में प्रकाशित इस पुस्तक में यशवन्त वीरोदय ने इतिहास में पहली बार हिन्दी आलोचकों के सामने हिन्दी साहित्य की मुख्यधारा का प्रश्न उठाया है। उनकी स्पष्ट मान्यता है कि कबीर, रैदास, स्वामी अछूतानन्द और डॉ. अम्बेडकर जैसे समाज प्रवर्तकों की सोच और विचारधारा ही भारत देश की मुख्यधारा है। इसे हासिए पर नहीं डाला जा सकता। इनकी दूसरी महत्वपूर्ण कृति 'दलित शिखरों का साक्षात्कार' है, जिसको बी.बी.सी. लन्दन की हिन्दी समाचार सेवा ने सन् 2013 की बेहतरीन और महत्वपूर्ण पुस्तकों की सूची में शुमार किया है। तीसरी महत्वपूर्ण कृति 'सत्ता विमर्श एवं अस्मिता विमर्श' है। 2017 में प्रकाशित इस पुस्तक में सत्ता द्वारा हाशिए पर ढकेल दी गई सामाजिक अस्मिताओं की पहचान करते हुए ऐतिहासिक संदर्भो में इसको विवेचित विश्लेषित किया है। यशवन्त वीरोदय भारत के उन साहित्यकारों में हैं जिन्होंने दलित साहित्य और दलित बहुजन आन्दोलन के पक्ष को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अन्तरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रमुखता से उठाया है। फ्रांस, स्विटजरलैण्ड, हॉलैण्ड, बेल्जियम आदि यूरोपीय देशों की यात्राओं ने इनके विज़न को विस्तार दिया है। आज यशवन्त वीरोदय का नाम मुशायरा एवं कवि सम्मेलन के मंचों पर सुना जा सकता है। ये चर्चित युवा गजल लेखक हैं जिन्होंने अपनी प्रसिद्ध गजलों के माध्यम से दलितों, शोषितों की अमानवीय पीड़ा को आवाज दी है। वर्तमान समय में ये डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ के हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग में 'असिस्टेंट प्रोफेसर' एवं विश्वविद्यालय के असिस्टेंट डीन स्टूडेन्ट वेलफेयर के पद पर कार्यरत हैं। पत्राचार: दूरभाष- 9453101495, 8887222033
Email: dr.virodai@gmail.com |
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